इतिहास


इस जिले की उत्पत्ति ३० जून १९९४ को भदोही के नाम से उत्तर प्रदेश के ६५ वे जिले के रूप में हुआ था। लेकिन बाद में सरकार ने इसका नाम संत रविदास नगर रख दिया था फिर 06 दिसम्बर २०१४ को पुनः भदोही नाम रख दिया है। यह ज़िला "कारपेट सिटी " के नाम से विश्व में प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश के सबसे छोटे जिले में गिना जाता है। उत्‍तर प्रदेश के पूर्वाचंल क्षेत्र के प्रमुख जनपद वाराणसी से 1996 में बना सन्‍त रविदास नगर ज़िला आम जन के द्वारा भदोही नाम से जाना जाता है। इलाहाबाद, जौनपुर, वाराणसी, मीरजापुर की सीमाओं को स्‍पर्श करता यह ज़िला अपने कालीन उद्योग के कारण विश्‍व में अत्‍यन्‍त प्रसिद्ध है।

४०० साल पूर्व भदोही परगना में भरों का राज्य था, जिसके ड़ीह, कोट, खंडहर आज भी मौजूद हैं। भदोही नगर के अहमदगंज, कजियाता, पचभैया, जमुन्द मुहल्लों के मध्यम में स्थित बाड़ा, कोट मोहल्ले में ही भरों की राजधानी थी। भर जाति का राज्य इस क्षेत्र सहित आजमगढ़, बलिया, गाजीपुर, इलाहाबाद एवं जौनपुर आदि में भी था। गंगा तट पर बसे भदोही राज्य क्षेत्र में सबसे बड़ा राज्य क्षेत्र था। सुरियांवां, गोपीगंज, जंगीगंज, खमरिया, आराई, महाराजगंज, कपसेठी, चौरी, जंघई, बरौट आदि क्षेत्र भदोही राज्य में था। गंगा तट का यह भाग जंगलों की तरह था।

भदोही नगर गंगा तट से २१ किलोमीटर उत्तर में स्थित है। भदोही कालीन औद्योगिक परिक्षेत्र में अनेकों बाजार तथा उपनगर हैं जिसमें गोपीगंज, खमरिया घोसिया, ज्ञानपुर, सुरियावां,असईपुर एवं नई बाजार आदि मुख्य उपनगर अपनी अलग पहचान बनाए हुए उद्योग के विकास में तत्पर हैं।

इस जनपद का मुख्‍य व्‍यवसाय कालीन है। यहां के कालीन उद्योग का लिखित साक्ष्‍य 16वीं सदी के रचना आइन-ए-अकबरी से मिलने लगता है। भदोही के कालीनो के निर्माण के सम्‍बन्‍ध में आश्‍चर्य जनक बात यह है कि यहा इस उद्योग का कच्‍चामाल पैदा नहीं होता। केवल कुशल श्रम की उपलब्‍धता ही सबसे बड़ा अस्‍त्र है। जिसके बल पर भदोही अपनी छाप विश्‍व बाज़ार में बनाए है।